शीशम (shisham tree) बहुपयोगी वृक्ष है। इसकी लकड़ी, पत्तियाँ, जड़ें सभी काम में आती हैं। लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर के निर्माण में किया जाता है।। पत्तियाँ पशुओं के लिए प्रोटीनयुक्त चारा होती हैं। इसकी लकड़ी और बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसका औषधि के रूप में प्रयोग होता है। वृक्ष की व्यवसायिक खेती होती है।
कीमती शीशम फूल वाले पौधों के फैबेसी परिवार का सदस्य है। शीशम का वैज्ञानिक नाम Dalbergia sissoo है, इसका मूल नाम शीशम है और अंग्रेजी में इसे Sissoo के नाम से जाना जाता है। यह एक बड़ा पर्णपाती वृक्ष है, जिसकी ऊँचाई 30 मीटर तक होती है। शीशम के पेड़ की छाल का रंग भूरा होता है। फूल हल्के पीले सफेद गुच्छों में मार्च और मई के बीच दिखाई देते हैं। फल ठंडे मौसम में पकते हैं और लंबे समय तक पेड़ से जुड़े रहते हैं। बीज का रंग भूरा होता है।
राजस्थान जलवायु परिस्थितियां के अनूकूल मजबूत जड़ तन्त्र पौधा है। शीशम सीधा बढ़ने वाला व सूखा प्रतिरोधी की क्षमता के कारण साधारण पौधो की तुलना ज्यादा तेजी से ग्रो करता है। जीवाणु मुक्त व रोगाणु मुक्त एन्अी डीजीज एवं एन्अी क्लाइमेन्ट पौधा है।
शीशम के नाम Shisham, tali, tahli, Dalbergia Sissoo, The Blackwood, Rosewood, तथा इसकी प्रजातियाँ सागौन (टेक्टोना ग्राण्डिस), शाखू (सोरिया रोबस्टा) तथा देवदार (सीड्रस देवदारा) आदि अन्य हैं।
शीशम एक बहुत ही उपयोगी पेड़ है। शीशम की लकड़ी बहुत सख्त, मजबूत और बादाम रंग की होती है। इसकी जड़ वाली लकड़ी की पत्तियाँ सभी उपयोगी होती हैं। शीशम की लकड़ी मजबूत, लचीली और टिकाऊ होती है, जिसके कारण इसका उपयोग फर्नीचर और निर्माण कार्यों में व्यापक रूप से किया जाता है। लकड़ी का उपयोग साज-सज्जा, भवन, कृषि उपकरण आदि के निर्माण में और कई निर्माण कार्यों जैसे रेलवे स्लीपर, संगीत वाद्ययंत्र, चारपाई और उपकरण बेंत आदि में किया जाता है।
शीशम अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। पारम्परिक चिकित्सा पद्धति में पत्तियों का अर्क, क्वाथ, स्वरस तथा जड़, शीशम की काष्ठ का शर्बत आदि बहुउपयोगी है। शीशम या टाली की लकड़ी से रेसिन (Resin) तथा तेल (Essential oil) भी प्राप्त होता है।