SK नर्सरी हाउस बीकानेर में बेल के देसी व हाइब्रिड पौधे थोक दर पर उपलब्ध है। बेल के जड़, छाल, पत्ते शाख और फल औषधि रूप में बहुत ही उपयोगी हैं। यह एक पोषण (विटामिन-ए, बी.सी., खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट) एवं औषधीय गुणों से भरपूर फल है। इससे अनेक परिरक्षित पदार्थ, शरबत, मुरब्बा आदि बनाया जा सकता है।
आइगल मार्मेलोस (Aigle marmelos), जिसे आमतौर पर बेलपत्र (Bel Patra), बंगाल क्वीन (Bengal quince), गोल्डन सेब (golden apple), जापानी कड़वा नारंगी (Japanese bitter orange), पत्थर सेब (stone apple) या लकड़ी के सेब (wood apple) के रूप में जाना जाता है। बिल्व, बेल या बेलपत्थर एक फलदर पेड़ हैं। अत्यंत लाभदायक व रोगों को नष्ट करने वाला होने के कारण बेल को बिल्व कहा गया है। इसके अन्य नाम - शाण्डिल्रू, श्री फल, सदाफल, शैलपत्र, पतिवात, बिल्व, लक्ष्मीपुत्र और शिवेष्ट के नाम से भी जानते हैं। इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है तथा सूखा गूदा बेलगिरी कहलाता हैं।
बेल का पौधा ताजे और रसदार बेल के रस के लिए जाना जाता है। बेलपत्र के पौधे का हिंदू संस्कृति में बहुत प्राचीन महत्व है। बेल वृक्ष की ऊंचाई 6-8 मीटर होती है और इसके फूल हरे-सफ़ेद और मीठी सुगंध वाले होते हैं | इसके फल लम्बाकार होते है, जो ऊपर से पतले और नीचे से मोटे होते हैं | पौधे में बहुत ही प्राकृतिक उपचार के गुण होते हैं जो कई बीमारियों से बचाता है। हाइब्रिड बेल के पौधों में 3-4 वर्षों में फल प्रारंभ हो जाती है, जबकि बीजू पेड़ पर 7-8 वर्ष बाद फल लगते हैं। समय के अनुसार वृक्ष फलों की संख्या लगातार बढ़ती रहती है। उचित देखरेख करने पर एक पूर्ण विकसित वृक्ष से 100-150 फल प्राप्त किये जा सकते हैं। ग्राफ्टेड बेल के एक पौधे से 7-8 साल बाद में तकरीबन 40 किलोग्राम का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
बेलपत्र के पौधे को अच्छे जल निकासी वाली जगह पर लगाना चाहिए और मिट्टी के सूख जाने पर पानी देना चाहिए। मौसम व वातावरण के अनुसार पौधे में पानी देना चाहिए। इसे गर्मियों के दौरान अधिक बार और सर्दियों और बरसात के मौसम में कम बार किया जाना चाहिए। सुनिश्चित करें कि पौधे को स्पष्ट धूप और उचित नमी मिलती रहनी चाहिए, जिससे पौधे की ग्रोथ अच्छी व फलों का उत्पादन अधिक होगा। रेतली दोमट, धूप वाली स्थिति, गर्म नमी वाली जलवायु, इस फसल के लिए अनुकूल होती हैं|
बेल एक लाभकारी फल है। बेल के जड़, छाल, पत्ते शाख और फल औषधि रूप में बहुत ही उपयोगी हैं। यह एक पोषण (विटामिन-ए, बी.सी., खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट) एवं औषधीय गुणों से भरपूर फल है। इससे अनेक परिरक्षित पदार्थ बनाया जा सकता है जैसे कच्चे फलों से मुरब्बा, कैंडी तथा पके फलों से शरबत आदि। गर्मी के मौसम में नियमित सेवन या शरबत बना कर सेवन अत्यंत लाभकारी होता है। बेल के पौधे का रस बहुत ही सुखदायक और स्फूर्तिदायक होता है। इसमें अल्सर जैसी पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक घटक होते हैं।
फरवरी से मार्च या जुलाई से अगस्त का समय इसकी बिजाई के लिए उचित होता है। बेल विभिन्न प्रकार की बंजर भूमि (ऊसर, बीहड़, खादर, शुष्क एवं अर्धशुष्क) में उगाया जा सकने वाला पौधा है। यह एक बहुत ही सहनशील वृक्ष है। मई-जून की गर्मी के समय इसकी पत्तियाँ झड़ जाती है, जिससे पौधों में शुष्क एवं अर्धशुष्क जलवायु को सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है। फल अप्रैल-मई माह में तोड़ने योग्य हो जाते है। जब फलों का रंग गहरे हरे रंग से बदलकर पीला हरा होने लगे तो फलों की हार्वेस्टिंग करनी चाहिए। तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फल जमीन पर न गिरने पायें। इससे फलों की त्वचा चिटक जाती है, जिससे फल भीतर से सड़ जाते है।