SK नर्सरी हाउस बीकानेर में सहजन- Moringa होलसेल दर पर मिलता है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार एक हेक्टेयर में सिर्फ 50 हजार रुपये का खर्च आता है। सहजन की खेती से लाखों की कमाई की जा सकती है। बंजर और बाढ़ वाली जमीन जहां कुछ भी नहीं हो सकता वहां भी इसकी खेती आसानी की जाती है।
सहजन, मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी मोरिंगासी परिवार का एक तेजी से बढ़ने वाला, सूखा प्रतिरोधी पेड़ है। सहजन बहुउपयोगी पौधा है। पौधे के सभी भागों का प्रयोग भोजन, दवा औद्योगिक कार्यो आदि में किया जाता है। सहजन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व व विटामिन है।
सहजन वैज्ञानिक नाम Moringa oleifera है। यह सामान्यतया एक बहुवर्षीय, कमजोर तना और छोटी-छोटी पत्तियों वाला होता है। इसकी लंबाई लगभग दस मीटर से भी ऊँचा पौधा होता है। सामान्यतया औसत तापमान पर सहजन के पौधा का हरा-भरा व काफी फैलने वाला होता है यह ठंड को भी सहता है।
वर्षा की कमी या अधिकता से पौधे को कोई नुकसान नहीं होता है यह विभिन्न पारिस्थितिक अवस्थाओं में उगने वाला पौधा है। सभी प्रकार की मिट्टी में सहजन की खेती की जा सकती है। बेकार, बंजर और कम उर्वरा वाली भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में चार गुणा पोटाशियम तथा संतरा की तुलना में सात गुणा विटामिन सी. है।
सहजन एक बहुउपयोगी वृक्ष है। इसके फूल, फल और पत्तियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। सहजन की छाल, पत्तियों, बीजों, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक औषधि तैयार की जाती है, जिसका उपयोग लगभग 300 प्रकार के रोगों के उपचार में किया जाता है। सहजन के पौधे से गूदा निकाला जाता है और कपड़ा और कागज उद्योग के काम में इस्तेमाल किया जाता है।
दक्षिणी भारत, कम्बोडिया, फिलीपाइन्स, श्रीलंका और अफ्रीका में कच्ची फलियाँ (ड्रम स्टिक), पत्तियाँ खायी जाती हैं तथा बीज से प्राप्त तेल भी खाने योग्य होता हैं।
सहजन Drumstick tree ; वानस्पतिक नाम : "मोरिंगा ओलिफेरा" (Moringa oleifera) हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है।