SK नर्सरी हाउस बीकानेर में शहतूत/Mulberry थोक दर पर उपलब्ध है। शहतूत का टेस्ट जितना स्वादिष्ट होता है, उससे कई गुना ज्यादा सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है। आयुर्वेद में शहतूत के पेड़ के कई फायदे बताए गए हैं।
शहतूत का फल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही सेहतमंद भी। आयुर्वेद में शहतूत के कई फायदे हैं। शहतूत को बानस्पतिक रूप में मोरस अल्बा के नाम से जाना जाता है।यह एक सदाबहार वृक्ष होता है जिसकी औसतन ऊंचाई 40-60 फीट होती है। इसके फूलों के साथ-साथ ही जामुनी-काले रंग के फल होते है| शहतूत के पत्तों का प्राथमिक उपयोग रेशम के कीट के तौर पर की जाती है। इसके फल जूस बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
शहतूत मिट्टी की कई किस्मों आसानी से ग्रो करता है जैसे दोमट, चिकनी, उपजाऊ, समतल मिट्टी आदि। शहतूत को लगाने की जगह पर जल निकास प्रबंध बढ़िया हो और साथ ही जिसमें पानी सोखने की क्षमता ज्यादा होनी चाहिए। शहतूत के मुख्य रूप से दो प्रजातियां पाए जाते हैं। पहली तूत ( शहतूत )और दूसरी तूतड़ी।
फलों को आमतौर पर तब काटा जाता है जब वे गहरे लाल से बैंगनी-लाल रंग के होते हैं। सुबह का समय कटाई के लिए उपयुक्त होता है। इसे हाथ से या पेड़ को जोर से हिलाकर तोड़ा जाता है। पेड़ को हिलाने की विधि के लिए पेड़ के नीचे प्लास्टिक की चादर बिछाई जाती है। इस चादर पर पके फल गिरते हैं।
शहतूत का पेड़ भारत के अधिकांश राज्यों में पाया जाता है। शहतूत के वृक्ष का आयुर्वेदिक महत्व के कारण इसके पत्ते, छाल, फल, बीज आदि हिस्सों का इस्तेमाल किसी न किसी रोग को दूर करने के लिए किया जाता है। शहतूत के पेड़ के फल का रंग काला, लाल और नीला होता है। इस फल के तीखे और मीठे स्वाद के कारण इसकी अधिकांश किस्मों का उपयोग जैम, शराब, जेली, शर्बत, चाय आदि में भी किया जाता है।
शहतूत के वृक्ष का वानस्पतिक नाम Moras alba है और ये मोरेसी कुल का वृक्ष है। इसके अन्य नाम white mulberry, common mulberry और silkworm mulberry हैं ।
संस्कृत :- ब्रह्मकाष्ठ, ब्रह्मदारु, तूत, मृदुसार, तूल, सुपुष्प और तूद
हिंदी :- सहतूत, शहतूत, चिन्नी, तुतरी और तूत
तमिल :- काम्बीलीपुच और पट्टूपूची
पंजाब, मराठी, बंगाली, अरेबिक :- तूत